Be-ghairat zamane ko tamasha pasand hai
To tum bhi batao tumhe kya pasand hai
Milti hai meri pasand sab ki pasand se
Mujhe bhi tumhara chehra pasand hai
Wo to dilati hai ulfat teri aankhon ki masti
Vagarna machhli ko saara dariya pasand hai
Tumhe jaise tadpana achha lage hai
To mujh ko bhi charaagh jalta pasand hai
Mujh ko bhi tum us tarah pasand ho
Yusuf ko jis tarah Zulaikha pasand hai
Oose hi maalum hai intezaar ki Qeemat
Manzil se pahle jise rasta pasand hai
Auron ki hansi bhi achhi hai lekin
Teri muskurahat mujhe zyada pasand hai
Maine maana ashiq hai 'Mustafiz' se achhe
Magar mujh ko uska bharosa pasand hai
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बेग़ैरत ज़माने को तमाशा पसंद है
तो तुम भी बताओ तुम्हे क्या पसंद है
मिलती है मेरी पसंद सब की पसंद से
मुझे भी तुम्हारा चेहरा पसंद है
वो तो दिलाती है उल्फत तेरी आँखों की मस्ती
वगरना मछली को सारा दरिया पसंद है
तुम्हे जैसे तड़पना अच्छा लगे है
तो मुझ को भी चराग़ जलता पसंद है
मुझ को भी तुम उस तरह पसंद हो
युसूफ को जिस तरह ज़ुलैख़ा पसंद है
उसे ही मालुम है इंतज़ार की क़ीमत
मंज़िल से पहले जिसे रास्ते पसंद है
औरों की हंसी भी अच्छी है लेकिन
तेरी मुस्कराहट मुझे ज़्यादा पसंद है
मैंने माना आशिक़ हैं मुस्तफिज़ से अच्छे
मगर मुझ को उसका भरोसा पसंद है
written by Mustafiz
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