Hairat hai chaman mei gulon ki sada sun kar
Afsos hai khalq ki un par jafa sun kar
Shab-e-furqat se haasil tanhai mujhe
Sukhanvar aae mujhe tanha sun kar
Mae bhi bheed mei jaa kar shaamil hua
Logon se unki adaa sun kar
Kya mae khud bura ho gaya
Sochta hun khud ko bura sun kar
Kuchh to sharm karo jhuut bolne se
Kya sochta hoga tumhe Khuda sun kar
Kuchh to kaho yun na dard do hamen
Kuchh to saza do meri khata sun kar
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हैरत है चमन में गुलों की सदा सुन्न कर
अफ़सोस है ख़ल्क़ की उन पर जफ़ा सुन कर
शब्-ए-फुरक़त से हासिल तन्हाई मुझे
सुख़नवर आए मुझे तनहा सुन कर
मए भी भीड़ में जा कर शामिल हुआ
लोगों से उनकी अदा सुन कर
क्या मए खुद बुरा हो गया
सोचता हूँ खुद को बुरा सुन कर
कुछ तो शर्म करो झूठ बोलने से
क्या सोचता होगा तुम्हे खुदा सुन कर
कुछ तो कहो यूँ न दर्द दो हमें
कुछ तो सजा दो मेरी खता सुन कर
written by Mustafiz
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