Ham ghairon se mil lete hain, ham andheron se mil lete hain
Hame apni kashti dubani hai isi liye lehron se mil lete hain
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हम गैरों से मिल लेते हैं , हम अंधेरों से मिल लेते हैं
हमें अपनी कश्ती डुबनि है इसी लिए लहरों से मिल लेते हैं
written by Mustafiz
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