Tere husn ki maar hai bimaar kya kare
Rota hai chashm-e-zaar-zaar kya kare
Tuft-e-khiram ye ishq harifon ki karvaan
Tujh se ishq beshumaar hai lachaar kya kare
Gar duur hai wo aur khabar se be-khabar hun mae
Jitni achhi meri guzre bahaar kya kare
Uski hasi de jaati hai ragon ko taazgi
Gunche tere tabassum ka intezaar kya kare
Mar jaoon wafa pe be-wafai pe rouun
Jispe dil bhar na aae uspe eitbaar kya kare
Ifraat-e-rizk mile ishq to rozgaar ho jae
Yaa Rab fir ye be-rozgaar kya kare
Uske diidar se bhi dil agar zor na ho jae
Jaa kar ham sar-e-ku-e-yaar kya kare
Paudhe teri zid ki mae kya misaal duun
Khilta hai chaman mei baar baar kya kare
Parde mei chhup gayi tum khamosh ho gayi ho
Ankhen sab kah rahi hain lab-e-izhaar kya kare
Parde mei chhup gayi tum khamosh ho gayi ho
Ankhen sab kah rahi hain lab-e-izhaar kya kare
Kya khub mouj-e-zindagani teri thi pyare
Baad anjaam ke pachtaave hazaar kya kare
Teri yaad mujhe raaton ko jagae rakhti hai
Mujh pe jo guzri hai na-gavaar kya kare
Ta-umr intezaar kahin daag-e-dil na ho jae
Mae tanha tadap raha hun be-qaraar kya kare
Ek charagh hi baaki hai jo mujh ko jagae rakhti hai
Apne sukhan se bhi hota hun taalib-e-diidaar kya kare
Haal-e-dil samajhte nahi na inkaara ab tak
Hota nahi un par ikhtiyaar kya kare
Ye begangi mujhme ab ghar kar chuki hai
Kamzor ho gaye dar-o-divaar kya kare
Saaqi mahez pilave hai mai-pyala 'Mustafiz'
Dil pe bas nahi tera Qusoorvaar kya kare
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तेरे हुस्न की मार है बीमार क्या करे
रोता है चस्म-ए-ज़ार-ज़ार क्या करे
टुफ्ट-ए-खिरम ये इश्क़ हरीफ़ों की कारवां
तुझ से इश्क़ बेशुमार है लाचार क्या करे
गर दूर है वो और खबर से बे-खबर हूँ मए
जितनी अच्छी मेरी गुज़रे बहार क्या करे
उसकी हसी दे जाती है रगों को ताज़गी
गुंचे तेरे तबस्सुम का इंतज़ार क्या करे
मर जाऊं वफ़ा पे बे-वफाई पे रोऊँ
जिस पे दिल भर न ऐ उसपे ऐतबार क्या करे
इफरात-ए-रिज़्क़ मिले इश्क़ तो रोज़गार हो जाए
या रब फिर ये बे-रोज़गार क्या करे
उसके दीदार से भी दिल अगर ज़ोर न हो जाए
जा कर हम सर-ए-कू-ए-यार क्या करे
परदे में छूप गई तुम खामोश हो गई हो
खिलता है गुल चमन में बार बार क्या करे
पौधे तेरी ज़िद की मए क्या मिसाल दूँ
खिलता है गुल चमन में बार बार क्या करे
क्या खूब मौज-ए-ज़िंदगानी तेरी थी प्यारे
बाद अंजाम के पछतावे हज़ार क्या करे
तेरी याद मुझे रातों को जगाए रखती है
मुझ पे जो गुज़री है न-गवार क्या करे
ता-उम्र इंतज़ार कहीं दाग-ए-दिल न हो जाए
मए तनहा तड़प रहा हूँ बे-क़रार क्या करे
एक चराग़ ही बाकी है जो मुझको जगाए रखती है
अपने सुखं से भी होता हूँ तालिब-ए-दीदार क्या करे
हाल-ए-दिल समझते नहीं न इन्कारा अब तक
होता नहीं उन पर इख्तियार क्या करे
ये बेगानगी मुझमे अब घर कर चुकी है
कमज़ोर हो गए दर-o-दीवार क्या करे
साक़ी महज़ पिलावे है मई-प्याला मुस्तफिज़
दिल पे बस नहीं तेरा फिर क़ुसूरवार क्या करे
Meaning:-
Luft-e-khiram:- Joy of walk, मज़े की राह
Harif:- Competitors, प्रतियोगी
Rizk:- Food, खाना
Sar-e-ku-e-yaar:- Towards the lovers street, महबूबा की गली
Taalib-e-diidaar:- One who longs for the site of lover, प्रेमिका का इंतज़ार
Ikhtiyaar:- Control, Influence, प्रभाव
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तेरे हुस्न की मार है बीमार क्या करे
रोता है चस्म-ए-ज़ार-ज़ार क्या करे
टुफ्ट-ए-खिरम ये इश्क़ हरीफ़ों की कारवां
तुझ से इश्क़ बेशुमार है लाचार क्या करे
गर दूर है वो और खबर से बे-खबर हूँ मए
जितनी अच्छी मेरी गुज़रे बहार क्या करे
उसकी हसी दे जाती है रगों को ताज़गी
गुंचे तेरे तबस्सुम का इंतज़ार क्या करे
मर जाऊं वफ़ा पे बे-वफाई पे रोऊँ
जिस पे दिल भर न ऐ उसपे ऐतबार क्या करे
इफरात-ए-रिज़्क़ मिले इश्क़ तो रोज़गार हो जाए
या रब फिर ये बे-रोज़गार क्या करे
उसके दीदार से भी दिल अगर ज़ोर न हो जाए
जा कर हम सर-ए-कू-ए-यार क्या करे
परदे में छूप गई तुम खामोश हो गई हो
खिलता है गुल चमन में बार बार क्या करे
पौधे तेरी ज़िद की मए क्या मिसाल दूँ
खिलता है गुल चमन में बार बार क्या करे
क्या खूब मौज-ए-ज़िंदगानी तेरी थी प्यारे
बाद अंजाम के पछतावे हज़ार क्या करे
तेरी याद मुझे रातों को जगाए रखती है
मुझ पे जो गुज़री है न-गवार क्या करे
ता-उम्र इंतज़ार कहीं दाग-ए-दिल न हो जाए
मए तनहा तड़प रहा हूँ बे-क़रार क्या करे
एक चराग़ ही बाकी है जो मुझको जगाए रखती है
अपने सुखं से भी होता हूँ तालिब-ए-दीदार क्या करे
हाल-ए-दिल समझते नहीं न इन्कारा अब तक
होता नहीं उन पर इख्तियार क्या करे
ये बेगानगी मुझमे अब घर कर चुकी है
कमज़ोर हो गए दर-o-दीवार क्या करे
साक़ी महज़ पिलावे है मई-प्याला मुस्तफिज़
दिल पे बस नहीं तेरा फिर क़ुसूरवार क्या करे
Meaning:-
Luft-e-khiram:- Joy of walk, मज़े की राह
Harif:- Competitors, प्रतियोगी
Rizk:- Food, खाना
Sar-e-ku-e-yaar:- Towards the lovers street, महबूबा की गली
Taalib-e-diidaar:- One who longs for the site of lover, प्रेमिका का इंतज़ार
Ikhtiyaar:- Control, Influence, प्रभाव
written by Mustafiz
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